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ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵੱਡਾ ਫ਼ੈਸਲਾ, ਬੀਐੱਡ ਪਾਸ ਹੁਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਣਗੇ ਐਲੀਮੈਂਟਰੀ ਅਸਾਮੀ ਵਾਸਤੇ ਅਪਲਾਈ

ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵੱਡਾ ਫ਼ੈਸਲਾ, ਬੀਐੱਡ ਪਾਸ ਹੁਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਣਗੇ ਐਲੀਮੈਂਟਰੀ ਅਸਾਮੀ ਵਾਸਤੇ ਅਪਲਾਈ http://dhunt.in/jQDoU?s=a&uu=0x132f2a699abf89ec&ss=wsp Source : "ਪੰਜਾਬੀ ਜਾਗਰਣ" via Dailyhunt https://gsbodal.blogspot.com/

PRESS CONFERENCE OF SANJHA MORCHA LEADERS AFTER MEETING WITH GOVERNMENT

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70 हजार वेतन, अब दो हजार रुपये मिलेगा पेंशन, शिक्षक को जारी किया गया एनपीएस

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उत्तर प्रदेश 70 हजार वेतन, अब दो हजार रुपये मिलेगा पेंशन, शिक्षक को जारी किया गया एनपीएस संवाददाता,मिजार्पुर Published By: Amit Gupta Mon, 19 Jul 2021 07:06 PM मिर्जापुर जिले के माध्यमिक शिक्षा विभाग में न्यू पेंशन स्कीम के तहत सीखड़ ब्लाक के शंकराश्रम इंटरमीडिएट कालेज से 2019 में सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापक का पेंशन जारी कर दिया गया। जिले के पहले एनपीएस पाने वाले सहायक अध्यापक रामयज्ञ यादव की हौलनाक स्थिति यह है कि अंतिम वेतन बिल यानी 2019 में 70 हजार रुपये की भारी-भरकम धनराशि पर प्रत्येक महीने साइन करते थे। लेकिन अब 19 सौ 85 रुपये पेंशन हर महीने पाएंगे। वर्ष-2008 में सहायक अध्यापक के रूप में ज्वाइन करने वाले रामयज्ञ 11 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं। जब नौकरी मिली थी तब कल्पना तक नहीं की होगी कि बुढ़ापे की लाठी पेंशन इतनी कमी मिलेगी कि परिवार क्या खुद का पेट पालना भी मुश्किल होगा। हालांकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के लेखाकारों का तर्क के पूरे सर्विस काल में रामयज्ञ का  छह लाख 91 हजार 670 रुपये की जमा पूंजी थी। जिसमें से 60 प्रतिशत लगभग चार लाख 14 हजार 882 रुपये की धनराशि उनके बैं

चिली के नए संविधान में पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने का वचन दिया है।

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  सैंटियागो , चिली - चिली की नवनिर्वाचित संवैधानिक सभा इस महीने पहली बार बैठक करेगी , जिसमें देश का मार्गदर्शन करने के लिए एक नए सिद्धांत का मसौदा तैयार करने की नौ महीने की प्रक्रिया शुरू होगी , जो पिछले तानाशाही-युग के संविधान को अलग कर देगा। मई के चुनाव में चिली के प्रमुख राजनीतिक दल निर्दलीय उम्मीदवारों से हार गए , राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा के दक्षिणपंथी गठबंधन , चिली वामोस के साथ , 155 सीटों में से केवल एक-पांचवां हिस्सा था। पर्यावरण सांसदों और कार्यकर्ताओं ने परिणाम को एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा है जो अभूतपूर्व पर्यावरण संरक्षण को सुरक्षित कर सकता है। जबकि मौजूदा संविधानों ने पारिस्थितिक प्रावधानों को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं , कोई भी राष्ट्रीय चार्टर - इक्वाडोर के अपवाद के साथ - पर्यावरण को भविष्य के विकास के लिए मौलिक नहीं मानता है और इसकी सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। अड़तालीस स्वतंत्र घटक - जिन्होंने सीटों का शेर का हिस्सा जीता - सामाजिक आंदोलनों से उभरा , जिनमें से कई पर्यावरणीय कारणों से निकटता से जुड़े हुए हैं। स्वदेशी समुदायों के लिए आरक्

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पानी बचाओ, पेड़ बचाओ, धरती मां बचाओ और मानवता बचाओ

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खरसांवा-झारखंड के आदिवासी 1 जनवरी को ‘काला दिवस’ के रूप में क्यों मनाते हैं?

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  खरसांवा-झारखंड के आदिवासी 1 जनवरी को ‘काला दिवस’ के रूप में क्यों मनाते हैं? पृथक झारखंड राज्य की मांग को लेकर जुटे आदिवासियों की शहादत की गाथा सुनाते हुए विशद कुमार लिखते है कि यह एक ऐसा आंदोलन था जिसमें आजादी के मात्र साढ़े चार महीने बाद यानी 1 जनवरी 1948 को ही खरसावां हाट बाजारटांड़ में पुलिस फायरिंग में सैकड़ों आदिवासी मारे गए   1 जनवरी 1948 : खरसावां गोलीकांड विशेष  जहां  पूरी दुनिया में पहली जनवरी को नए वर्ष के आगमन पर जश्न मनाया जाता है, वहीं झारखंड के खरसावां और कोल्हान के जनजातीय समुदाय के लोग एक जनवरी को काला दिवस और शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। क्योंकि आजादी के मात्र साढ़े चार महीने बाद ही खरसावां हाट बाजारटांड़ में पुलिस फायरिंग में  कई आदिवासी मारे गए थे।  इस घटना के कारणों की पड़ताल में हमें थोड़ा पीछे लौटना होगा। 1912 में जब बंगाल से बिहार को अलग किया गया। कुछ वर्षों बाद 1920 में बिहार के पठारी इलाकों के आदिवासियों द्वारा आदिवासी समूहों को मिलाकर छोटानागपुर उन्नति समाज का गठन किया गया। बंदी उरांव एवं यू. एल. लकड़ा के नेतृत्व में गठित उक्त संगठन के बहाने आदिवासी जमातों